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कागला
नां अबै
स्सैहर में दीखै
अर
नां दीखै गाँव-गाँव

श्रादां रै परसाद सारू ई
लोग अडीकै
अबै कागलां नै

कठै गया कागला
कठै गई
काँव-काँव!