भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"थूं अर म्हूं-अेक / ॠतुप्रिया" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ॠतुप्रिया |अनुवादक= |संग्रह=ठा’...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:47, 3 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
थूं
सूरज
थिर है
आपरी जिग्यां
आपरी रीसां में
बळतौ-बाळतौ
अर म्हूं
धरा
जकी
चक्करघिन्नी दाईं
रैवूं
घूमती-रिझांवती
थारै च्यारूंचफेर।