भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रोटी की रेडियस, जो तिहाई हुई, तो है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार='सज्जन' धर्मेन्द्र |संग्रह=पूँजी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:37, 4 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
रोटी की रेडियस, जो तिहाई हुई, तो है।
पूँजी की ग्रोथ रेट सवाई हुई तो है।
घर आपका जला तो किसे कोसने लगे,
ये आग आप ही की लगाई हुई तो है।
खाली भले है पेट मगर ये भी देखिए,
छाती हवा से हम ने फुलाई हुई तो है।
क्यूँ दर्द बढ़ रहा है मेरा, न्याय ने दवा,
ज़ख़्मों के आस पास लगाई हुई तो है।
वर्षों से इस ज़मीन में कुछ भी नहीं उगा,
इसकी लहू से ख़ूब सिंचाई हुई तो है।