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"महीनों तक तुम्हारे प्यार में इसको पकाया है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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तभी जाके ग़ज़ल पर ये गुलाबी रंग आया है। | तभी जाके ग़ज़ल पर ये गुलाबी रंग आया है। | ||
− | अकेला देख जब जब सर्द रातों ने सताया | + | अकेला देख जब जब सर्द रातों ने सताया है। |
तुम्हारा प्यार ही मैंने सदा ओढ़ा बिछाया है। | तुम्हारा प्यार ही मैंने सदा ओढ़ा बिछाया है। | ||
− | किसी को साथ रखने भर से वो अपना नहीं होता, | + | किसी को साथ रखने भर से वो अपना नहीं होता, |
जो मेरे दिल में रहता है हमेशा, वो पराया है। | जो मेरे दिल में रहता है हमेशा, वो पराया है। | ||
− | + | अभी गीला बहुत है दोस्तों कुछ वक़्त मत छेड़ो, | |
− | + | ज़रा सी देर पहले प्यार में तन मन रँगाया है। | |
कई दिन से उजाला रात भर सोने न देता था, | कई दिन से उजाला रात भर सोने न देता था, | ||
− | बहुत | + | बहुत मज्बूर होकर दीप यादों का बुझाया है। |
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10:58, 8 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
महीनों तक तुम्हारे प्यार में इसको पकाया है।
तभी जाके ग़ज़ल पर ये गुलाबी रंग आया है।
अकेला देख जब जब सर्द रातों ने सताया है।
तुम्हारा प्यार ही मैंने सदा ओढ़ा बिछाया है।
किसी को साथ रखने भर से वो अपना नहीं होता,
जो मेरे दिल में रहता है हमेशा, वो पराया है।
अभी गीला बहुत है दोस्तों कुछ वक़्त मत छेड़ो,
ज़रा सी देर पहले प्यार में तन मन रँगाया है।
कई दिन से उजाला रात भर सोने न देता था,
बहुत मज्बूर होकर दीप यादों का बुझाया है।