भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ईश्वर जाने / कुमार सौरभ" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Kumar saurabh (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार सौरभ |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> सु...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
15:09, 11 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
सुलगा कर के अपनी बीड़ी
फूँक दिये गाँव के गाँव
वही विधायक संसद की
सिगरेट चला है सुलगाने
वह जाति बहुल धन-बाहु-बली
हा ! घोर आपदा ! ईश्वर जाने !