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"जीवन / रोहित ठाकुर" के अवतरणों में अंतर
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इसी तरह चलता है जीवन का व्यापार। | इसी तरह चलता है जीवन का व्यापार। | ||
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11:49, 14 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
एक साईकिल पर सवार आदमी का सिर
आकाश से टकराता है
और बारिश होती है
उसकी बेटी ऐसा ही सोचती है
वह आदमी सोचता है की उसकी बेटी के
नीले रंग की स्कूल-ड्रेस की
परछाई से
आकाश नीला दिखता है
बरतन मांजती औरत सोचती है
मजे हुए बरतन की तरह
साफ हो हर
मनुष्य का हृदय
एक चिड़िया पेड़ को अपना मानकर
सुनाती है दुख
एक सूखा पत्ता हवा में चक्कर लगाता है
इसी तरह चलता है जीवन का व्यापार।