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"इश्क़ जबसे वो करने लगे / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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22:26, 15 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
इश्क़ जबसे वो करने लगे।
रोज़ घंटों सँवरने लगे।
क्रीम तन पर लगा प्यार की,
दिन-ब-दिन वो निखरने लगे।
गाल पे लाल बत्ती जली,
और लम्हे ठहरने लगे।
इस क़दर खिल उठे इश्क़ में,
वो गुलों को अखरने लगे।
खींचकर ख़ुद हदें प्यार की,
सब हदों से गुज़रने लगे।