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"म्हारे आलीजा री चंग / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर
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18:07, 13 जुलाई 2008 का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
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म्हारे आलीजा री चंग, बाजै अलगौजा रे संग,
फागण आयो रे !
रूंख-रूंख री नूंवी कूपळा, गीत मिलण रा अब गावै।
बन-बागां म काळा भंवरा, कळी-कळी ने हरसावै।
गूंझै ढोलक ताल मृदंग, बाजे आलीजा री चंग।।
फागण आयो रे !
आज बणी हर नारी राधा, नर बणिया है आज किसन।
रंग प्रीत रो एडो बिखर्यो, गली-गली है बिंदराबन।
हिवडै-हिवडै उठे तरंग, बाजे आलीजा री चंग।।
फागण आयो रे !