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"जिस वक़्त रौशनी का तसव्वुर मुहाल था / विकास शर्मा 'राज़'" के अवतरणों में अंतर
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19:23, 25 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
जिस वक़्त रौशनी का तसव्वुर मुहाल था
उस शख़्स का चराग़ जलाना कमाल था
रस्ता अलग बना ही लिया मैंने साहिबो
हरचन्द दायरे से निकलना मुहाल था
उसके बिसात उलटने से मालूम हो गया
अपनी शिकस्त का उसे कितना मलाल था
मैं भी नए जवाब से परहेज़ कर गया
उसने भी मुझसे पूछा पुराना सवाल था
अफ़सोस ! अपनी जान का सौदा न कर सके
उस वक़्त कीमतों में बला का उछाल था