भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
706 bytes added,
13:08, 12 मई 2018
{{KKCatKavita}}
<poem>
सारा खेल नजर का धोखा ही तो है
क्यों नहीं छिटकते रहते इंद्रधनुष के रंग
हर वक्त आकाश में?
आवरण उतरते ही दीखने लगता है
नीला मटमैला स्याह-सफेद मिश्रित आकाश
या कि इस नीले मटमैले जीवन को
क्षणमात्र के लिये ही सही
तरंगित करने के संधान का सुफल है ये
आह! है बाधा बड़ी
कई दिन हुए पुराने वक्त की आहट नदी तालाब का पानी जम गया अन्वेषक की भांति संपूर्ण शरीर में ढूंढ़ ही लेती है सबसे कोमल चमड़ी चलते-चलते पीठ पर जोर की थपकी लगाएपांव ठीक से रखना ... संभालकर और फ़ना जोर की फिसलन सरेराह पकड़ लेती है ज़रा अदब से चलो तेरी छाया पता है? थोड़े दिन पहले मेरे हाथ की छोटी ऊंगली सहसा यहाँ किनारे हुआ करते थे शहर पैर से थोड़ी दूर तो थी ये जगह लिपट गति को बांधे साथ-साथ चाहती है चलना मगर यहाँ हर घड़ी चलती भी है सुरीली आवाज चटखती रहती थी अद्भुत जीवन हुआ करता था बहते पानी में महत्त्वाकांक्षा के रथ पर आरूढ़ होते हीजमी त्यागना होता है जब से कब्र—सी लगती है मुझे वजन सम्बंधों का अभी जूते पहन सो तूने त्यागे कितने आराम नीरस सफर की थकावट से चल रहे हो तुम चूर ये बोझिल आंखें याद होता जो तब का मंज़र झेंपती हैं तो शरीर भी शिथिल पड़ता जाता है पांव धरते ही रोएँ सिहर जाते डुबोकर छुपे बैठे हैं सीने को आस्तीन बनाएतब टूटे ख्वाब और बेतरतीब नोकदार टुकड़े सीसे के उलट सबकुछ बदला-बदला-सा है इस दम बहुत ज़रूरी हो सहज होते ही बोध करा जातेतो कि तेरा असहज रहना ही कोई घर से निकलता है रोशनी आकाश से छन नहीं पाती घिरे बादल से चिपट जाती तेरा प्रारब्ध है शफ्फाकतिसपर बिजली-सी उड़ती है बरफ़ हवा के साथ कौंध जाती हैं जब आनंद से नाचते गाते हो तुमलोग पटल पर तेरी नीमबाज़ आंखें परिंदे ताकते हैं वीराने को सफेद चादर बिछी है चारों तरफ मैदान पूरा खाली है भय और पीड़ा की सीमा लांघतेये नासपीटे अब और क्या तुम्हें डर नहीं लगताचाहते हैं मुझसे? उठते हो रात-बिरातनकाब ओढ़े हुए देखते होबरफ का गिरना सिकुड़ के बैठा है अबाबील उस सनोबर पर हवा जब जोर इन समवेत आक्रमणों से बहती तो कुनमुनाता लड़ते चलना है सजाभीतर-सी ही-भीतर कई दफे ...रोजाना टुटन की कोई अहमियत नहीं पता है चार दिन बीत चुके हैंमुझे आंखें नम झंडे तैयार खड़े रखे हैं उसकी पेट खाली कोने में दिन निकलने को है अलविदा! चलो! चलते हैं फिर से नए मोर्चे पर
</poem>
Mover, Protect, Reupload, Uploader