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"मेरे मादक / राहुल कुमार 'देवव्रत'" के अवतरणों में अंतर
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मेरे मादक! | मेरे मादक! | ||
− | खोए-खोए से | + | |
+ | खोए-खोए से रहना | ||
गम गुस्सा विरह की | गम गुस्सा विरह की | ||
− | तपन से भस्म ना होकर | + | तपन से भस्म ना होकर |
− | कुंदन-सा | + | कुंदन-सा निखरना |
− | समंदर से गहरे आंखों में | + | समंदर से गहरे आंखों में |
− | चोट, जख्म के सारे दर्द समेट | + | चोट, जख्म के सारे दर्द समेट |
− | चुपचाप | + | चुपचाप सहना |
− | सब याद है | + | सब याद है मुझे |
− | तेरे प्रवाह को रुद्ध कर | + | तेरे प्रवाह को रुद्ध कर |
− | बदबू पैदा करने के सारे प्रयास के बीचो-बीच | + | बदबू पैदा करने के सारे प्रयास के बीचो-बीच |
− | खुद के निरंतर प्रयास से | + | खुद के निरंतर प्रयास से |
− | स्वयं को संयत | + | स्वयं को संयत रखना |
मुझे संभालना, सहेजना | मुझे संभालना, सहेजना | ||
− | और खुद को सजीव बनाए | + | और खुद को सजीव बनाए रखना |
− | यह भी याद | + | यह भी याद है |
− | सबकी निगाह से बचकर | + | सबकी निगाह से बचकर |
− | अपने धर्म का निर्वाह | + | अपने धर्म का निर्वाह करना |
− | मुझ से लिपट कर | + | मुझ से लिपट कर रोना |
− | अपने गंध से मुझे सराबोर | + | अपने गंध से मुझे सराबोर करना |
पाप-पुण्य के मध्य बारीक रेखा को | पाप-पुण्य के मध्य बारीक रेखा को | ||
− | स्वयं पहचाना, मुझे भी इसका भान | + | स्वयं पहचाना, मुझे भी इसका भान कराना |
− | कैसे कहूँ | + | कैसे कहूँ |
− | तुम धैर्य की सच्ची मूर्ति | + | तुम धैर्य की सच्ची मूर्ति |
− | मेरे चरित्र की ऊंचाई का मानक | + | मेरे चरित्र की ऊंचाई का मानक हो |
− | तुम ही मेरा आलम्ब | + | तुम ही मेरा आलम्ब हो |
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18:53, 12 मई 2018 के समय का अवतरण
मेरे मादक!
खोए-खोए से रहना
गम गुस्सा विरह की
तपन से भस्म ना होकर
कुंदन-सा निखरना
समंदर से गहरे आंखों में
चोट, जख्म के सारे दर्द समेट
चुपचाप सहना
सब याद है मुझे
तेरे प्रवाह को रुद्ध कर
बदबू पैदा करने के सारे प्रयास के बीचो-बीच
खुद के निरंतर प्रयास से
स्वयं को संयत रखना
मुझे संभालना, सहेजना
और खुद को सजीव बनाए रखना
यह भी याद है
सबकी निगाह से बचकर
अपने धर्म का निर्वाह करना
मुझ से लिपट कर रोना
अपने गंध से मुझे सराबोर करना
पाप-पुण्य के मध्य बारीक रेखा को
स्वयं पहचाना, मुझे भी इसका भान कराना
कैसे कहूँ
तुम धैर्य की सच्ची मूर्ति
मेरे चरित्र की ऊंचाई का मानक हो
तुम ही मेरा आलम्ब हो