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"साँवरे हमे सदा स्नेह युक्त हास दो / रंजना वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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साँवरे हमें सदा, स्नेह युक्त हास दो
राह ज्योति से भरी, सृष्टि में प्रकाश दो

हो कहीं न वंचना, मात्र एक कामना
नित्य नेक पन्थ हो, वो नया विकास दो

छूटना कभी नहीं, रूठना कभी नहीं,
साथ हो बना सदा, ये नवीन आस दो

दान युक्त जिंदगी, भीख माँगना नहीं,
स्वार्थ भाव त्याग दें, श्रेष्ठ भाव पास हो

कृष्ण साँवरे गुनो, पाप को मिले क्षमा
कामना सहास हो, स्नेह की सुवास दो

श्याम दो असीस ये, द्वार झुके शीश ये
तीर सूर्यजा तले, ही सदा निवास दो

मोह मान छोड़ दें, कृष्ण नाम को भजें
साथ सद्गुणी रहें, मुक्ति का प्रयास दो