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"अजित कुमार / परिचय" के अवतरणों में अंतर

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श्री अजित कुमार का जन््म एक साहित््यिक परिवार में १९३३ में लखनऊ में हुआ। माँ सुमित्रा कुमारी सिन््हा अपने समय की विख््यात कवयित््री थी। पिता का साहित््यिक प््रकाशन-ग््रह था,जहाँ निराला जैसे रचनाकार की कृतियाँ छपी।् बहन कीर््ति चौधरी तीसरा सप््तक की कवयित््री थीं,बहनोई अोंकार नाथ श्रीवास््तव भी कवि-पत््रकार-आलोचक की भूमिकाअों में रहे अौर पत््नी स््नेहमयी चौधरी भी जानी-मानी कवयित््री हैं।
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श्री अजित कुमार का जन्म एक साहित्यिक परिवार में १९३३ में लखनऊ में हुआ। माँ सुमित्रा कुमारी सिन्हा अपने समय की विख्यात कवयित्री थीं। पिता का साहित्यिक प्रकाशन-गृह था,जहाँ निराला जैसे रचनाकार की कृतियाँ छपी। बहन कीर्ति चौधरी तीसरा सप्तक की कवयित्री थीं, बहनोई ओंकार नाथ श्रीवास्तव भी कवि-पत्रकार-आलोचक की भूमिकाओं में रहे और पत्नी स्नेहमयी चौधरी भी जानी-मानी कवयित्री हैं।
श्री अजित कुमार ने कानपुर,लखनऊ अौर बाद में इलाहाबाद विश््वविद््यालय से उच््च शिक्षा प््राप््त की,कुछ समय डी.ए.वी. काॅलेज ,कानपुर में अध््यापन किया।बाद में वे दिल््ली विश््वविद््यालय के किरोड़ीमल महाविद््यालय में बरसों अध््यापन करते रहे। सेवा-निवृत््ति के बाद भी वे सक््रिय सर््जनात््मक जीवन जी रहे हैं। अपनी पांडुलिपियों को सहेजने-सँवारने में संल््ग््न अजित कुमार कई रचनाअों के प््रकाशन की तैयारी में हैं।
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श्री अजित कुमार ने कानपुर,लखनऊ और बाद में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की, कुछ समय डी.ए.वी. कालेज, कानपुर में अध्यापन किया। बाद में वे दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल महाविद्यालय में बरसों अध्यापन करते रहे। सेवा-निवृति के बाद भी वे सक्रिय रचनात्मक जीवन जी रहे हैं। अपनी पांडुलिपियों को सहेजने-सँवारने में संलग्न अजित कुमार कई रचनाओं के प्रकाशन की तैयारी में हैं।
उन््होंने बच््चन-रचनावली का संपादन भी किया। बच््चन: निकट से कृति का भी संपादन किया।
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उन्होंने बच्चन-रचनावली का संपादन किया और 'बच्चन: निकट से' कृति का भी संपादन किया।

18:41, 15 जुलाई 2008 का अवतरण

श्री अजित कुमार का जन्म एक साहित्यिक परिवार में १९३३ में लखनऊ में हुआ। माँ सुमित्रा कुमारी सिन्हा अपने समय की विख्यात कवयित्री थीं। पिता का साहित्यिक प्रकाशन-गृह था,जहाँ निराला जैसे रचनाकार की कृतियाँ छपी। बहन कीर्ति चौधरी तीसरा सप्तक की कवयित्री थीं, बहनोई ओंकार नाथ श्रीवास्तव भी कवि-पत्रकार-आलोचक की भूमिकाओं में रहे और पत्नी स्नेहमयी चौधरी भी जानी-मानी कवयित्री हैं। श्री अजित कुमार ने कानपुर,लखनऊ और बाद में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की, कुछ समय डी.ए.वी. कालेज, कानपुर में अध्यापन किया। बाद में वे दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल महाविद्यालय में बरसों अध्यापन करते रहे। सेवा-निवृति के बाद भी वे सक्रिय रचनात्मक जीवन जी रहे हैं। अपनी पांडुलिपियों को सहेजने-सँवारने में संलग्न अजित कुमार कई रचनाओं के प्रकाशन की तैयारी में हैं। उन्होंने बच्चन-रचनावली का संपादन किया और 'बच्चन: निकट से' कृति का भी संपादन किया।