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अपराजित / महेन्द्र भटनागर

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|संग्रह=नई चेतना / महेन्द्र भटनागर
}}
[4] अपराजित
 
हो नहीं सकती पराजित युग-जवानी !
नव-सृजन की कामना को,
सर्वहारासर्र्वहारा-वर्ग की युग -
युग पुरानी साधना को,
1951
 
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