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"बाईसा अचपळा घणा / मोहम्मद सद्दीक" के अवतरणों में अंतर

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सुणनो ही चावै
+
बाईसा अचपळा घणा
तो सुण
+
बाईसा बोछरड़ा घणा
काल थारै काळ हो
+
बाई रा बाळ कुण बांका करै
आज म्हारै काळ है
+
बाई रै लखणां सूं
होणी होयां सरै।
+
सगळा डरै।
सागै सागै हा
+
बाईसा जोधजवान।
आगै लारै होग्या हां
+
बाईसा ब्यावण सार
परजातन्तर है।
+
परणायोड़ा होता - तो होता
तो, जन्तर है। न मन्तर
+
टाबरां री मां
पण आदमी अ‘र नेता में
+
पीर रो पतियारो
घणो अन्तर।
+
सासरै रो सीर
आदमी तो नेता बणै
+
पण ओ किरयोड़ो काकड़ियो
पण - नेता! आदमी बणै
+
ओ तातो ऊफणतो दूध
अ‘र नई बणै
+
आ ताजी चूंटियो सी काया
लुगायां पूत जणै
+
आ काची कंवळी कळी
पण ऐड़ा जणै नईं जणै
+
ओ कुचामदी काचो मांस
पात पळै मूळ बळै
+
राख राख्यो है मायतां
ठौड़ ठौड़ कळै ही कळै।
+
डागळै रै ऊंचली मंडेरी माथै
दिन ऊगतो दीसै बेगो ढळै
+
कुताऊं। बिल्लाऊं। डरतां।
सामी अमावस री रात
+
चील कांवळा दिन रात लू‘वै
च्यारूंमेर घात ही घात
+
सगै सोया में होरी है तूवै-तूवै
किण नै धीजै - किण नै पतिजै
+
सुगणी मां अ‘र सायर बाप
धीमी आंच पर  
+
रूखाळी राख‘र कितराक दिन राखै
खीचड़ी ज्यूं खदबदीजै
+
मिनख पणै री पत
दिन रात  
+
पोची पड़ती लागै।
घेटियो सी सूदी आ भोळी जनता
+
इण बेलड़ी रा तांतवा
चमगूंगी होय
+
बाड़ उपराकर
रोजीना तळी जरी है
+
बारै जावता लागै।
दळीजी री है
+
मां रै पेट सूं पालणै में
फैरूं ही आं‘ सिरसै चोरां नै
+
पालणै सूं आपरै पगां पर  
धाप‘ अर धीज री है
+
बाईसा अकूरड़ी अ‘र अड़क बेल ज्यूं  
समूची की समूची
+
दिन रात बधती जावै
कादै में कळीजरी है।
+
बळ्यो सरीर-
 +
कपड़ां में - अ‘र कपड़ा सरीर में
 +
नईं समावै
 +
बाईसा अबै हाथां न बाथां
 +
बाईसा ढाब्या नईं ढबै।
 +
सुणी है ऊलळयोड़ा गाडा
 +
बिचरयोड़ा भाण्ड
 +
अ‘र गिरता ग्याब
 +
हथैळी लगायां कद थम्मया
 +
कद थम्मै।
 +
भतूळिये री चोटी सा
 +
चढ्रयां है सिखरां
 +
आं दिना बाईसा
 +
नूत राखी है अणूत
 +
समूचै गांव रै छोटै माट रा
 +
कुत्तर लेवै कानड़ा
 +
इयां लागै जाणै
 +
ढोल नै डंकै री उडीक
 +
चढ़ियोड़ै चंग नै चिमटी री।
 +
बाईसा चालती पून सूं
 +
कर लेवै बांथैड़ो
 +
बाईसा बाथ्यां आवण त्यार
 +
टांक लिया है पांयचा
 +
बगा दिया लूगड़ा
 +
छंटवालिया पट्टा
 +
मुंडवा लीनी मींडी
 +
धारण कर लिया है
 +
मरदाना भेस
 +
अबै बाईसा
 +
भोळा हिरणिया
 +
अ‘र सूदै सुशियां रो शिकार
 +
तो दिन धोळै ही कर लेवै।
 +
जच्चै जद चर लेवै।
 +
म्हारी या थांरी
 +
आपणी कांई चिकारी
 +
बाईसा नै कुण रोकै
 +
कुण टोकै
 +
बिना हथियार निपट निहत्था
 +
बाईसा आपरी
 +
सागीड़ी
 +
सेंजोरी
 +
हतळ मार‘र
 +
मार नाखै
 +
शेरां नै सूरां नै।
 +
बाईसा बायरै रा
 +
घणा अणूता ही सोकीन है।
 +
बाईसा नै जद कद जठै-कठै
 +
अमूजो सतावै
 +
गरमी खावण लाग जावै
 +
बाईसा आपरै सरबती सरीर री  
 +
सगळी री सगळी
 +
खिडक्यां खोल नाखै
 +
अ‘र बाईसा बण जावै
 +
जैपर रो हवामहल
 +
इण जगते दिवलै री
 +
जगजगाती लोय नै देख‘र
 +
ए कुमाणस। कसमल
 +
कमीणा। कामी फिड़कला
 +
आपरो धरम निभाण
 +
आपरै पतियारै री पत खातर
 +
पांख्यां फड़फड़ाय
 +
आप-आप रै माजनै सारू
 +
आपरी पत रो बलिदान करण नै
 +
नेड़ा आ लागै
 +
पण पांख्यां खुंसाय
 +
माजनौ मराय
 +
भूंडियो मसळाय‘र
 +
परा‘ मरै
 +
इस्या फिड़कलां रो
 +
बाईसा कांई करै
 +
जिसी करणी पार उतरणी?
 +
खाणो पीणो। खेलणो खाणो तो
 +
बाईसा रो धरम है।
 +
हंसणो-हंसाणो
 +
उम्मर सारू ओपतो।
 +
बाईसा रा - सरावण जोग
 +
मिल्लण रा तरीका
 +
ना राम राम
 +
ना सलाम
 +
बस मिलता पाण
 +
हाथ मिलावणो
 +
हाय हाय, हल्लो हल्लो
 +
पुट्ठै पर हळत मार‘र
 +
ईयां सी फरमावणो
 +
‘सुणावो यार’ कांई बात है।
 +
ओ मोरयोड़ो सूकी सिट्टी
 +
ओ रांदयोड़ो बासी धान
 +
आ कुत्तां लिक्की खीर
 +
आपणै गांव री गुवाड़ री
 +
तो कोनी लागी।
 +
लोकलाज बिसराय
 +
अठीनै बठीनै भागै
 +
बाईसा गळी भूलग्या लागै।
 +
रूपरूड़ी बाईसा री ओडकी में
 +
थोड़ो पोदीनो हो
 +
माथै - ऊं उतरी ओडकी रो पल्लो
 +
उघाड़यो‘र उघाड़यो
 +
लोग पोदीनो चूंट अ‘र
 +
चटणी बणार चाटग्या
 +
बाईसा रा बोरिया बिखरग्या
 +
बाईसा अचपळा घणा
 +
बाईसा बोछरड़ा घणा।
 
</poem>
 
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17:38, 14 जून 2018 के समय का अवतरण

बाईसा अचपळा घणा
बाईसा बोछरड़ा घणा
बाई रा बाळ कुण बांका करै
बाई रै लखणां सूं
सगळा डरै।
बाईसा जोधजवान।
बाईसा ब्यावण सार
परणायोड़ा होता - तो होता
टाबरां री मां
पीर रो पतियारो
सासरै रो सीर
पण ओ किरयोड़ो काकड़ियो
ओ तातो ऊफणतो दूध
आ ताजी चूंटियो सी काया
आ काची कंवळी कळी
ओ कुचामदी काचो मांस
राख राख्यो है मायतां
डागळै रै ऊंचली मंडेरी माथै
कुताऊं। बिल्लाऊं। डरतां।
चील कांवळा दिन रात लू‘वै
सगै सोया में होरी है तूवै-तूवै
सुगणी मां अ‘र सायर बाप
रूखाळी राख‘र कितराक दिन राखै
मिनख पणै री पत
पोची पड़ती लागै।
इण बेलड़ी रा तांतवा
बाड़ उपराकर
बारै जावता लागै।
मां रै पेट सूं पालणै में
पालणै सूं आपरै पगां पर
बाईसा अकूरड़ी अ‘र अड़क बेल ज्यूं
दिन रात बधती जावै
बळ्यो सरीर-
कपड़ां में - अ‘र कपड़ा सरीर में
नईं समावै
बाईसा अबै हाथां न बाथां
बाईसा ढाब्या नईं ढबै।
सुणी है ऊलळयोड़ा गाडा
बिचरयोड़ा भाण्ड
अ‘र गिरता ग्याब
हथैळी लगायां कद थम्मया
कद थम्मै।
भतूळिये री चोटी सा
चढ्रयां है सिखरां
आं दिना बाईसा
नूत राखी है अणूत
समूचै गांव रै छोटै माट रा
कुत्तर लेवै कानड़ा
इयां लागै जाणै
ढोल नै डंकै री उडीक
चढ़ियोड़ै चंग नै चिमटी री।
बाईसा चालती पून सूं
कर लेवै बांथैड़ो
बाईसा बाथ्यां आवण त्यार
टांक लिया है पांयचा
बगा दिया लूगड़ा
छंटवालिया पट्टा
मुंडवा लीनी मींडी
धारण कर लिया है
मरदाना भेस
अबै बाईसा
भोळा हिरणिया
अ‘र सूदै सुशियां रो शिकार
तो दिन धोळै ही कर लेवै।
जच्चै जद चर लेवै।
म्हारी या थांरी
आपणी कांई चिकारी
बाईसा नै कुण रोकै
कुण टोकै
बिना हथियार निपट निहत्था
बाईसा आपरी
सागीड़ी
सेंजोरी
हतळ मार‘र
मार नाखै
शेरां नै सूरां नै।
बाईसा बायरै रा
घणा अणूता ही सोकीन है।
बाईसा नै जद कद जठै-कठै
अमूजो सतावै
गरमी खावण लाग जावै
बाईसा आपरै सरबती सरीर री
सगळी री सगळी
खिडक्यां खोल नाखै
अ‘र बाईसा बण जावै
जैपर रो हवामहल
इण जगते दिवलै री
जगजगाती लोय नै देख‘र
ए कुमाणस। कसमल
कमीणा। कामी फिड़कला
आपरो धरम निभाण
आपरै पतियारै री पत खातर
पांख्यां फड़फड़ाय
आप-आप रै माजनै सारू
आपरी पत रो बलिदान करण नै
नेड़ा आ लागै
पण पांख्यां खुंसाय
माजनौ मराय
भूंडियो मसळाय‘र
परा‘ मरै
इस्या फिड़कलां रो
बाईसा कांई करै
जिसी करणी पार उतरणी?
खाणो पीणो। खेलणो खाणो तो
बाईसा रो धरम है।
हंसणो-हंसाणो
उम्मर सारू ओपतो।
बाईसा रा - सरावण जोग
मिल्लण रा तरीका
ना राम राम
ना सलाम
बस मिलता पाण
हाथ मिलावणो
हाय हाय, हल्लो हल्लो
पुट्ठै पर हळत मार‘र
ईयां सी फरमावणो
‘सुणावो यार’ कांई बात है।
ओ मोरयोड़ो सूकी सिट्टी
ओ रांदयोड़ो बासी धान
आ कुत्तां लिक्की खीर
आपणै गांव री गुवाड़ री
तो कोनी लागी।
लोकलाज बिसराय
अठीनै बठीनै भागै
बाईसा गळी भूलग्या लागै।
रूपरूड़ी बाईसा री ओडकी में
थोड़ो पोदीनो हो
माथै - ऊं उतरी ओडकी रो पल्लो
उघाड़यो‘र उघाड़यो
लोग पोदीनो चूंट अ‘र
चटणी बणार चाटग्या
बाईसा रा बोरिया बिखरग्या
बाईसा अचपळा घणा
बाईसा बोछरड़ा घणा।