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"के रसना रूकगी, बोल्या ना जाता री / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल" के अवतरणों में अंतर

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वार्ता:-
धाय माता के स्वर्गवास के पश्चात लड़का चंद्रहास करूणा विलाप करता हुआ क्या कहता है ?

के रसना रूकगी, बोल्या ना जाता री,
तेरा याणा कँवर करै, माता-माता री ।। टेक ।।

के बुरी बणी बिन मणी, फणी सिर फोड़ै,
रही सता बता के खता, कँवर कर जोड़ै,
क्युं तोड़ै सै, बचपन का नाता री।।

रह्या हर हर कर, ज्युँ पर कटने से पक्षी,
छुट्या ज्ञान ध्यान, अब जान नहीं जा बक्षी,
ये मक्षी लिपटैं, टूट रह्या छाता री।।

दिल धड़कै भड़कै फड़कै, पलपल मैं उर,
जळया भाग मंद पड़्या फंद, बंद होगे सूर,
जुर चढ़्या असाध शरीर, जळै ताता री।।

के कहुं और ना जोर, मोर से बोलैं,
मिथुन राश दश हँस हँस, रस सा घोलैं,
री बता कद खोलैं, नंदलाल बही खाता री।।