भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सुण म्हारा इस्ट! (छव) / राजेन्द्र जोशी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र जोशी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:25, 24 जुलाई 2018 के समय का अवतरण

म्हारा इस्ट
म्हैं ओळखूं थनै
पण मिनख नीं ओळखै
थूं ई नीं जाणै बां मिनखां नै
जिका रोवता रैवै दुखड़ो आपू-आपरो
बांरो दुख
हेत नीं बण सक्यो थारो
अर थारो दुख
बांरो सुख नीं बण सकै।

म्हारै खातर
थां दोनुवां रो दुख
प्रीत जिसो लखावै
थूं बांरा दुख
सुण नीं सकै
ना बां सूं मिळ सकै।

थूं पढ सकै
म्हारी कविता
सुख सूं।