भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"इंदर री उडीक / राजेन्द्र जोशी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र जोशी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:32, 24 जुलाई 2018 के समय का अवतरण

आभै हेठै
थार समंदर
खेत मांय नीं है बूंद पाणी री
अणथाग भीड़ पड़ी है
खेत रै बिचाळै
बिचक्योड़ै जिनावरां री
धक्का-मुक्की करण री सरधा नीं है
आंख्यां कुचमाद करै
काळी बिरखा बरसावै
हाड, टूट-टूटनै पसरग्या
उणां रै पेट मांय।

गोबर री ठौड़
हाडक्यां रा छेरा करै जिनावर
आभो हंसी उडावै
तानासाह हुयग्यो इंदर
इंदर नीं दीसै बरसण नै
नीं उमड़ै बादळ
हुंकार नीं भरै
हंसी उडावै इंदर
आभै हेठै
आं जिनावरां री
खेत रै बिचाळै।
नीं बरसै तो ना बरस
अेकर मिल, आं जिनावरां सूं
मरणा चावै पण नीं मर सकै
थारी उडीक मांय
खोड़ीली आंख्यां
इंदर री उडीक मांय।