भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आत्मा अर अगन / राजेन्द्र जोशी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र जोशी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:40, 24 जुलाई 2018 के समय का अवतरण

बळणो चावतो
फकत साठां पछै
अगनी रै भेळो
आत्मा नै ई बाळण रा
कर्या जतन
नीं बळी आत्मा।

अगन साम्हीं ऊभी हुयगी
छटपटावतो हेलो करै
आत्मा नै
नीं सुणै उणरी बात
अगन रै नेड़ै ऊभी
मुळकती बंतळ करती
बा जाणै
बाळ नीं सकै उणनै अगन।

साठां पछै रो महाजुध
करणी चावै अेकर
उण सूं उणरी आत्मा
नीं बळण देवै उणनै आत्मा।