भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रेत (दोय) / राजेन्द्र जोशी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र जोशी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:44, 24 जुलाई 2018 के समय का अवतरण
चालै सीधो
चालै गुडाळियां
आंख्यां आडी पाटी बांध्यां
राजी चालै, चावै बिराजी
मिनखपणो ई राखै कोनी
आ माटी तो माण ई राखै
पड़ै धमीड़ा खाय मांय रेत रै
लागै कोनी पड़्यां रेत में।
दुख-सुख री भेळी है म्हारै
चेतावै अर पुचकारै है
पीड़ मिनख री जावै सगळी
सूरज-चांदो आय बिराजै
मिनख-देवता अेक समान
इण रेत रो भेद नीं जाणै।
हुवै रात काळी आ अंधारी
मुळकै रेत करै चानणो
निरखै तारा रात अंधारी
इण माटी री सौरम लेवता
तारा झिळ-मिळ आवै है
आ माटी तो माण ई राखै
गीत प्रीत रा गावै है।