भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बगत री बात / राजेन्द्र जोशी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र जोशी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:57, 24 जुलाई 2018 के समय का अवतरण

अबार बगत ठीक नीं है
आ कोरी कहावत नीं है
म्हारा माईत कैवता—
बो बगत ठीक नीं हो
म्हारा टाबर कैवै
अबार बगत भोत खराब है।

म्हारा बेली कैवै—
आवण आळो बगत
और ई खराब आवणो है।

नीं जाणूं अबार बगत किसो है
फकत बगत खराब कियां है
बगत तो आपरी गति सूं चालै।

हां, म्हैं कैवूं—
बारै आळो बगत ठीक नीं हुवैला
आपरै मांय आळै बगत नै देखो
बो थांनै देखसी
बगत खराब नीं हुवै
मांय सोचणै रो बगत देखणो पड़ै
देख्या, बगत अबार ठीक हुवैला।