भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हाइकु 33 / लक्ष्मीनारायण रंगा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मीनारायण रंगा |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:50, 26 जुलाई 2018 के समय का अवतरण

थारा दर्सण
बणा दै म्हारी आंख्यां
मोर री पांख्यां


जीवण तो ज्यूं
बाळू मंडी लहर
बणै‘र मिटै


प्रेम री आंख
पल-पल बरसै
तिस्सी तरसै