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मात-पिता नै जन्म दे दिया, लिख्या कर्मा म्हं दु:ख पाणा,
साजन बिन के करूं अकेली, ले लिया भगवा बाणा, ।। टेक ।।
मात-पिता नै करी पराई, फर्ज तार दिया सर का,
के बेरा था संजोग नहीं, आपस म्हं कन्या वर का,
इस जंगल घोर अन्धेरे म्हं, एक सहारा हर का,
कर्मा का डण्ड पड़ै भोगणा, ना बस चलै नर का,
कर्मा म्हं न्यूं हे लिख राखी, टुकड़ा भाग-भागकै खाणा।।
साधु बणा धार तन पै, तार दिए सोल़ा श्रंगार,
भभूती रमाई तन म्हं, मोहनमाला तारया हार,
जोबन की झल़ लाल जलै़, मस्तक चमकै बेशुम्मार,
कुछ तो रूप हुस्न म्हं तगड़ी, कुछ हल्दबान की लाग्यी मार,
चाल पड़ी टोहवण साजन, सास-ससुर पता ठिकाणा।।
धर शील सब्र-सन्तोष, शान्ति तन म्हं ध्यान पति का,
अंहकार मोहमाया तज दी, गाया गुणगान जति का,
अष्ठ सिद्धी नौ निधि से, पूर्ण हुआ ज्ञान सति का,
ईश्वर उसपै दया करै जो, होता बुद्धिमान मति का,
ब्याहे पाछै बेटी का, पीहर म्हं कदे-कदे आणा।।
श्री गोपाल नाथ जी सतगुरू मिलगे, नेकी राम चर्ण का दास,
भक्ति करकै शक्ति मिलगी, गावण लाग्या आस-पास,
गाणे कारण दुनिया जाणन लाग्यी, छोटा गांव जैतड़ावास,
पेट के कारण नाचै गावै, झूठ कपट म्हं नहीं विशवास,
बड़ी मुश्किल का काम जगत म्हं, गाणा और बजाणा।।