भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"देश / दुष्यंत कुमार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दुष्यंत कुमार |चिंता / दुष्यंत कु...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

17:16, 30 अगस्त 2018 का अवतरण

संस्कारों की अरगनी पर टंगा
एक फटा हुआ बुरका
कितना प्यारा नाम है उसका-देश,
जो मुझको गंध
और अर्थ
और कविता का कोई भी
शब्द नहीं देता
सिर्फ़ एक वहशत,
एक आशंका
और पागलपन के साथ,
पौरुष पर डाल दिया जाता है,
ढंकने को पेट, पीठ, छाती और माथा।