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"माँ यशोदा का जो दुलारा था / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर
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माँ यशोदा का जो दुलारा था
कम नहीं देवकी को प्यारा था
गोपियाँ, ग्वाल-बाल और गौवें
कृष्ण आँखों का सब की तारा था
दे दिया सब बग़ैर मांगे ही
घर सुदामा का यूँ संवारा था
पादुका छोड़ कर चले आए
द्रौपदी ने जहां पुकारा था
ज्ञान गीता का दे के अर्जुन को
मोह के गर्त से उबारा था
अन्ततः हो गया महाभारत
धर्म जीता, अधर्म हारा था
कौरवों के 'रक़ीब' अर्जुन को
द्वारिकाधीश का सहारा था