भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लिपटा वहीं / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= कविता भट्ट |संग्रह= }} Category: ताँका...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

00:17, 11 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

1
लिपटा वहीं
घुँघराली लटों में
मन निश्छल,
चाँद झुरमुटों में
न भावे जग-छल ।
 2
ढला बादल
नदी के आगोश में
हुआ पागल
लिये बाँहों में वह
प्रेमिका -सी सोई।
3
मन वैरागी
निकट रह तेरे
राग अलापे,
सिंदूरी सपने ले
बुने प्रीत के धागे।
4
मन मगन
नाचता मीरा बन
इकतारे -सा
बज रहा जीवन
प्रीत नन्द नन्दन!
5
रवि -सी तपी
गगन- पथ लम्बा
ये प्रेमपथ ,
है बहुत कठिन
तेरा अभिनन्दन!
-0-