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"एक दिन ख़्वाब ये साकार भी हो सकता है / अजय अज्ञात" के अवतरणों में अंतर

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10:06, 30 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

एक दिन ख़्वाब ये साकार भी हो सकता है
वो मेरे इश्क़ का बीमार भी हो सकता है

तुम हिक़ारत से जिसे देख रहे हो यारो
वो मुहब्बत का परस्तार भी हो सकता है

आज जिस पर नहीं दिखती है कोई पत्ती भी
कल वही पेड़ समरदार भी हो सकता है

अजनबी शख़्स पे यूँ ही न भरोसा करना
शख़्स वो कोई गुनहगार भी हो सकता है

देखने भर का ही तो काम नहीं आँखों का
इनसे जज़्बात का इज़हार भी हो सकता है