भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आज इस वातावरण के हम हैं ज़िम्मेदार ख़ुद / अजय अज्ञात" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अजय अज्ञात |अनुवादक= |संग्रह=जज़्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:10, 30 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण
आज इस वातावरण के हम हैं ज़िम्मेदार ख़ुद
इस क्षरित पर्यावरण के हम हैं ज़िम्मेदार ख़ुद
दौड़ते रहते हैं हरदम स्वर्ण मृग के पीछे ही
अपनी ख़ुशियों के हरण के हम हैं ज़िम्मेदार ख़ुद
हमने भूमि वायु जल सब कुछ विषैला कर दिया
इस बदलते आवरण के हम हैं ज़िम्मेदार ख़ुद
हम ने ख़ुद अपने ही हाथों से उजाड़े हैं चमन
ख़ुशबू-ए-गुल के मरण के हम हैं ज़िम्मेदार ख़ुद
देख कर अपने बड़ों को ही तो बच्चे सीखते
बच्चों के इस आचरण के हम हैं ज़िम्मेदार ख़ुद
ज़िंदगी की बह्र क्या हो, क्या रदीफ़ो क़ाफ़िया
इस ग़ज़ल के व्याकरण के हम हैं ज़िम्मेदार ख़ुद