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"ज़िन्दगी इक सफ़र में गुज़री है / जंगवीर सिंंह 'राकेश'" के अवतरणों में अंतर
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− | ग़मज़दा तारों का हिज़ाब | + | ग़मज़दा तारों का हिज़ाब रखेे |
− | एक शब रात भर में | + | एक शब रात भर में गुज़री है |
इक कसीदा ग़ज़ल प रुख करूं तो | इक कसीदा ग़ज़ल प रुख करूं तो |
09:59, 4 अक्टूबर 2018 का अवतरण
ज़िन्दगी इक सफ़र में गुज़री है
उम्र भी उम्र भर में गुज़री है
ग़मज़दा तारों का हिज़ाब रखेे
एक शब रात भर में गुज़री है
इक कसीदा ग़ज़ल प रुख करूं तो
हर ख़ुशी चश्म-ए-तर में गुज़री है
चाँद की बेवफ़ाई के सदके
चाँदनी दोपहर में गुज़री है
एक जुगनू सहर दिखाएगा
शब इसी मोतबर में गुज़री है