"जनवरी-फरवरी / रामकुमार कृषक" के अवतरणों में अंतर
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पीठ ही पीठ हम / है नहीं शक उन्हें | पीठ ही पीठ हम / है नहीं शक उन्हें | ||
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23:09, 4 अक्टूबर 2018 के समय का अवतरण
साल आया बजट आ गया फिर नया
जनवरी-फ़रवरी / फ़रवरी-जनवरी
उनके चर्चे लिए -- अपने खर्चे लिए
उनके दर्जे लिए / अपने कर्ज़े लिए
साल आया बजट आ गया फिर नया
जनवरी-फ़रवरी / फ़रवरी-जनवरी...
उनकी पूँछें बढ़ीं / अपनी मूँछें घटीं
दीखतीं जो नहीं / दीख ही जो रहीं
साल आया बजट आ गया फिर नया
जनवरी-फ़रवरी / फ़रवरी-जनवरी...
उनका सब कुछ नया / अपना सब ओल्ड है
उनका सब कुछ गरम / अपना सब कोल्ड है
साल आया बजट आ गया फिर नया
जनवरी-फ़रवरी / फ़रवरी-जनवरी...
उनकी फ़सलें हुईं / अपनी लाई हुई
उनकी ही चोटियाँ / अपनी खाई हुई
साल आया बजट आ गया फिर नया
जनवरी-फ़रवरी / फ़रवरी-जनवरी...
उनका सोना बजट / अपना रोना बजट
उनका होना बजट / अपना ढोना बजट
साल आया बजट आ गया फिर नया
जनवरी-फ़रवरी / फ़रवरी-जनवरी...
हक़ उन्हें हम लदें / हम लदें हक़ उन्हें
पीठ ही पीठ हम / है नहीं शक उन्हें
साल आया बजट आ गया फिर नया
जनवरी-फ़रवरी / फ़रवरी-जनवरी...
03.03.1987