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"तुम्हारा प्यार / मनमोहन" के अवतरणों में अंतर

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यह स्त्री डरी हुई है  
 
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इसे मोहलत मिली हुई है  
 
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वह हर रोज़ कई बार मुस्कुराती  
 
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तुम्हारी दूरबीन के सामने से गुज़रती है  
 
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जो तुममें नशा पैदा करता है  
 
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और जिसे तुम प्यार कहते हो
 
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21:04, 5 अक्टूबर 2018 के समय का अवतरण

यह स्त्री डरी हुई है
इस तरह
जैसे इसी के नाते
इसे मोहलत मिली हुई है

अपने शिशुओं को जहाँ-तहाँ छिपा कर
वह हर रोज़ कई बार मुस्कुराती
तुम्हारी दूरबीन के सामने से गुज़रती है

यह उसके अन्दर का डर है
जो तुममें नशा पैदा करता है

और जिसे तुम प्यार कहते हो