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मेरी खोह में बेपरवाह-सा मुझे देख
 
मेरी खोह में बेपरवाह-सा मुझे देख
विनीत भाव से पूछा उसने मुझसे --
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''बहुत सी रसपूर्ण चीजों में, श्यामल व रक्ताभ मादकताओं में,
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बहुत सी रसपूर्ण चीजों में, श्यामल व रक्ताभ मादकताओं में,
 
तुम्हें उसकी देह का कौन सा हिस्सा, सबसे अधिक खींचता है ?
 
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क्या है सबसे अधिक मधुर?"
 
क्या है सबसे अधिक मधुर?"
  
कहा मेरी  आत्मा ने लोलुप शैतान से,
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कहा मेरी  आत्मा ने लोलुप शैतान से
''वह अपनी समग्रता में एक विश्रांति है, स्नेह है!
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वह अपनी समग्रता में एक विश्रांति है, स्नेह है !
 
उसकी देह का कोई एक टुकड़ा नहीं मुझे प्रिय है,
 
उसकी देह का कोई एक टुकड़ा नहीं मुझे प्रिय है,
  

17:58, 15 अक्टूबर 2018 के समय का अवतरण

शैतान और मैं कर रहे थे बातें ,
मेरी खोह में बेपरवाह-सा मुझे देख
विनीत भाव से पूछा उसने मुझसे —

बहुत सी रसपूर्ण चीजों में, श्यामल व रक्ताभ मादकताओं में,
तुम्हें उसकी देह का कौन सा हिस्सा, सबसे अधिक खींचता है ?
क्या है सबसे अधिक मधुर?"

कहा मेरी आत्मा ने लोलुप शैतान से —
वह अपनी समग्रता में एक विश्रांति है, स्नेह है !
उसकी देह का कोई एक टुकड़ा नहीं मुझे प्रिय है,

वह भोर का उर्जित तारा है,
स्निग्ध रजनी की शांत कर देने वाली अनुभूति है !
उसकी लावण्यता की लय मे खो जाते है चिंतक विचारक !

ओ रहस्यमयी रूपांतरण !
मुझमें, मेरे सब संवेदन एकमेक हो गए है, क्योंकि
उसकी सांसों में भी संगीत है, उसकी भाषा मे मधु-गंध है !

अंगरेज़ी से अनुवाद : अभिषेक 'आर्जव'