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| + | दीप जलाऊँ | ||
| + | या तेरे नयनों में | ||
| + | डूबूँ नहाऊँ। | ||
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| + | आँखों के तारे | ||
| + | दीपोत्सव मनाएँ | ||
| + | प्राण जुड़ाएँ। | ||
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| + | यादों में तुम | ||
| + | जगमग दिशाएँ | ||
| + | रोज दिवाली। | ||
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| + | शब्दों के दीप | ||
| + | तुमने क्या जलाए | ||
| + | धरा नहाए। | ||
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| + | शब्दों में अर्थ | ||
| + | जैसे हो एकमेक, | ||
| + | गुँथे मुझमें। | ||
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| + | भाव-संगिनी | ||
| + | लय -प्रलय तक | ||
| + | मुझमें रमी । | ||
| + | 38 | ||
| + | नश्वर देह | ||
| + | काल से परे सदा | ||
| + | तुम्हारा नेह। | ||
| + | 39 | ||
| + | भीतर तम | ||
| + | देहरी जगमग | ||
| + | घना अँधेरा। | ||
| + | 40 | ||
| + | किरण शर | ||
| + | बींधे तम प्रखर | ||
| + | उजाला फूटा। | ||
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07:50, 13 नवम्बर 2018 के समय का अवतरण
31
अमा की रात
तुम पूर्ण चंद्रिका
उर में खिली।
32
दीप जलाऊँ
या तेरे नयनों में
डूबूँ नहाऊँ।
33
आँखों के तारे
दीपोत्सव मनाएँ
प्राण जुड़ाएँ।
34
यादों में तुम
जगमग दिशाएँ
रोज दिवाली।
35
शब्दों के दीप
तुमने क्या जलाए
धरा नहाए।
36
शब्दों में अर्थ
जैसे हो एकमेक,
गुँथे मुझमें।
37
भाव-संगिनी
लय -प्रलय तक
मुझमें रमी ।
38
नश्वर देह
काल से परे सदा
तुम्हारा नेह।
39
भीतर तम
देहरी जगमग
घना अँधेरा।
40
किरण शर
बींधे तम प्रखर
उजाला फूटा।
