भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कोई कलम / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
[[Category:हाइकु]] | [[Category:हाइकु]] | ||
<poem> | <poem> | ||
+ | 51 | ||
+ | मन में फाँस | ||
+ | तेरा दुःख अटका | ||
+ | रुकी है साँस। | ||
+ | 52 | ||
+ | स्वर्गिक सुख | ||
+ | किसी को न सुहाया | ||
+ | सदा जलाया। | ||
+ | 53 | ||
+ | मन बावरे | ||
+ | दर्द के साथ पड़ीं | ||
+ | तेरी भाँवरें। | ||
+ | 54 | ||
+ | मिट जाएँगे | ||
+ | हम किसी जन्म में | ||
+ | तुझे पाएँगे। | ||
+ | 55 | ||
+ | '''कोई कलम''' | ||
+ | मिले मुझको ऐसी | ||
+ | कि सुख लिखूँ । | ||
+ | 56 | ||
+ | पी तेरा दर्द | ||
+ | जीवन मैं जी जाऊँ | ||
+ | स्वर्ग मैं पाऊँ। | ||
+ | 57 | ||
+ | स्नेह ये सारा | ||
+ | समर्पित तुम्हें है | ||
+ | प्राणों में तुम । | ||
− | + | -0- | |
</poem> | </poem> |
07:54, 13 नवम्बर 2018 का अवतरण
51
मन में फाँस
तेरा दुःख अटका
रुकी है साँस।
52
स्वर्गिक सुख
किसी को न सुहाया
सदा जलाया।
53
मन बावरे
दर्द के साथ पड़ीं
तेरी भाँवरें।
54
मिट जाएँगे
हम किसी जन्म में
तुझे पाएँगे।
55
कोई कलम
मिले मुझको ऐसी
कि सुख लिखूँ ।
56
पी तेरा दर्द
जीवन मैं जी जाऊँ
स्वर्ग मैं पाऊँ।
57
स्नेह ये सारा
समर्पित तुम्हें है
प्राणों में तुम ।
-0-