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"मेरे भी पांव में रस्ते बहोत हैं / जंगवीर स‍िंंह 'राकेश'" के अवतरणों में अंतर

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हमारे हिज्र<ref>जुदाई, अकेलापन</ref> के किस्से बहोत हैं
 
हमारे हिज्र<ref>जुदाई, अकेलापन</ref> के किस्से बहोत हैं
  
अमां जाओ, तुम्हें दौलत मुबारक!
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अमां जाओ, तुम्हें दौलत मुबारक़!
 
हमारे ख़्वाब भी महँगे बहोत हैं
 
हमारे ख़्वाब भी महँगे बहोत हैं
  
 
जहाँ पर चाहें हम बुनियाद रख दें
 
जहाँ पर चाहें हम बुनियाद रख दें
हम अपनी ज़िद्द के पक्के बहोत हैं
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हम अपनी ज़िद के पक्के बहोत हैं
  
 
तुम्हारे हाथ में मंज़िल अगर है
 
तुम्हारे हाथ में मंज़िल अगर है

12:36, 5 दिसम्बर 2018 का अवतरण

तुम्हारे हुस्न के चर्चे बहोत हैं
हमारे हिज्र<ref>जुदाई, अकेलापन</ref> के किस्से बहोत हैं

अमां जाओ, तुम्हें दौलत मुबारक़!
हमारे ख़्वाब भी महँगे बहोत हैं

जहाँ पर चाहें हम बुनियाद रख दें
हम अपनी ज़िद के पक्के बहोत हैं

तुम्हारे हाथ में मंज़िल अगर है
मेरे भी पांव में रस्ते बहोत हैं

र‍िहा कर दो न, सब पंछी क़फ़स<ref>पिंजरा</ref> से
सुना है आप तो अच्‍छे बहोत हैं