भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लेखन / अल-सादिक अल-रादी / विपिन चौधरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अल-सादिक अल-रादी |अनुवादक=विपिन च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
तुम्हारा हृदय
+
उसने स्वयं को
इस तरह धड़कता है मानो
+
एक कोरे पन्ने के
वह पहले ही मौजूद हो
+
हवाले कर दिया है
तुम्हारी देहरी पर,
+
  
या जैसेकि
+
इसके भीतर
मुझे हो उसका इन्तज़ार
+
एक स्त्री के लिए
ठीक वैसे ही
+
घर बनाया है
जैसे दुपहर के समय
+
ढेरों पक्षी आकर तुम्हारे दरवाज़े पर
+
करते हैं प्रहार ।
+
  
धैर्य की उम्र,
+
अपने भीतर के संसार को
धड़कता हुआ एक वन ।
+
यहीं अनावृत करता है वह
 +
इस संसार में चमकता है
 +
जिसके लिए तड़पता था वह
 +
 
 +
अपने लिए
 +
रिहाइश बनाता है इसमें
 +
अभी तक जो उसके लिए संसार नहीं है
  
 
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : विपिन चौधरी'''
 
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : विपिन चौधरी'''
 
</poem>
 
</poem>

15:16, 10 दिसम्बर 2018 के समय का अवतरण

उसने स्वयं को
एक कोरे पन्ने के
हवाले कर दिया है

इसके भीतर
एक स्त्री के लिए
घर बनाया है

अपने भीतर के संसार को
यहीं अनावृत करता है वह
इस संसार में चमकता है
जिसके लिए तड़पता था वह

अपने लिए
रिहाइश बनाता है इसमें
अभी तक जो उसके लिए संसार नहीं है

अँग्रेज़ी से अनुवाद : विपिन चौधरी