भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चाँदनी ये आज-कल गहरी परेशानी में है / ज्ञान प्रकाश पाण्डेय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ज्ञान प्रकाश पाण्डेय |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:01, 18 दिसम्बर 2018 के समय का अवतरण
चाँदनी ये आज-कल गहरी परेशानी में है,
कुछ दिनो से रात क्यों सूरज की निगरानी में है?
रोज इक दरिया समंदर में उतर कर खो रहा,
हम समझते हैं कि सब उसकी निगहबानी में है।
दम - ब- दम बागी हवयें शोर बरपा कर रहीं,
एक ख़ामोशी मुसलसल झील के पानी में है।
फिर निचोड़ी जा रही है जुगनुओं की रोशनी,
मुझको हैरानी कि याँ' कोई न हैरानी में है।