भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"विषुवत रेखा / निर्मला सिंह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKRachna |रचनाकार=निर्मला सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBaalKavita...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

02:18, 19 दिसम्बर 2018 के समय का अवतरण

सूर्य पैंतालीस डिग्री का
कोण बनाता है
मुझ पर
क्योंकि मैं कभी
कर्क रेखा बन जाती हूँ
तो कभी मकर रेखा,
नहीं बन पाई अब तक
एक बार भी विषुवत् रेखा
जो बाँट दे
ज़िन्दगी को दो बराबर भागों में,
सुख-दुख की
जहाँ उगते हों सुख के
सदाबहार वन
पड़ती हो खुशियों की
चमकती धूप
वृक्षों की फुन्गियों पर।