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"दिल से जो लफ़्ज निकले उसे प्यार बना देना / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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दिल से जो लफ़्ज निकले उसे प्यार बना देना
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पर आँख से जो बरसे अंगार बना देना
  
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तन्हा हूँ निहत्था हूँ घर से निकल पड़ा हूँ
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ईमान को मेरे अब हथियार बना देना
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दुनिया से दुश्मनी का नामोनिशाँ मिटा दूँ
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तिनका भी उठाऊँ तो तलवार बना देना
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चाँदी की तरह चमके सोने की तरह दमके
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मेरे खुदा मेरा वो किरदार बना देना
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भूखा न कोई सोये प्यासा न कोई तड़पे
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मेरी दुआ को या रब दमदार बना देना
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हमको पता नहीं है चलती है लेखनी कब
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जज़्बात को हमारे उद्गार बना देना
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कश्ती उतार दी है दरिया में तेरे दम पर
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तूफ़़ान को भी मौला पतवार बना देना
 
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00:22, 30 दिसम्बर 2018 के समय का अवतरण

दिल से जो लफ़्ज निकले उसे प्यार बना देना
पर आँख से जो बरसे अंगार बना देना

तन्हा हूँ निहत्था हूँ घर से निकल पड़ा हूँ
ईमान को मेरे अब हथियार बना देना

दुनिया से दुश्मनी का नामोनिशाँ मिटा दूँ
तिनका भी उठाऊँ तो तलवार बना देना

चाँदी की तरह चमके सोने की तरह दमके
मेरे खुदा मेरा वो किरदार बना देना

भूखा न कोई सोये प्यासा न कोई तड़पे
मेरी दुआ को या रब दमदार बना देना

हमको पता नहीं है चलती है लेखनी कब
जज़्बात को हमारे उद्गार बना देना

कश्ती उतार दी है दरिया में तेरे दम पर
तूफ़़ान को भी मौला पतवार बना देना