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"अपने बहते हुए लहू का दोष मढ़ें किस सर पर / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा कैसे देश बचेगा | ||
+ | अब सौंपें पतवार बताओ किस नाविक को चुनकर | ||
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15:09, 30 दिसम्बर 2018 के समय का अवतरण
अपने बहते हुए लहू का दोष मढ़ें किस सर पर
हमने ही ज़ालिम हाथों में पकड़ाया है खंजर
भूख ग़रीबी बेकारी से चेहरे स्याह पड़े हैं
लाल मगर होते जाते हैं वोट- बैंक के दफ़्तर
मंदिर- मस्ज़िद के झगड़े में कितनी चोटें खाये
कितनी बार शहीद हुए हम जाति-धर्म के ऊपर
इन नेताओं की फ़ितरत को पहले आप समझ लें
बाहर से ये लगें विरोधी,एक हैं लेकिन अन्दर
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा कैसे देश बचेगा
अब सौंपें पतवार बताओ किस नाविक को चुनकर