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"जन्नत में आँगन की ख़ुशबू मिलती है कि नहीं / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | बेटे को परदेस में रोटी मिलती है कि नहीं | ||
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+ | नये- नये रिश्ते हैं जो मैं उनसे पूछ रहा | ||
+ | सबसे बढ़कर जग में माँ की हस्ती है कि नहीं | ||
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+ | माँ का प्यार बदल जायेगा कैसे सोच लिया | ||
+ | गु़स्से में भी माँ की ममता रहती है कि नहीं | ||
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+ | आप बतायें शम्आ को क्या हासिल होता है | ||
+ | शम्आ अंधकार से फिर भी लड़ती है कि नहीं | ||
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20:38, 30 दिसम्बर 2018 के समय का अवतरण
जन्नत में आँगन की ख़ुशबू मिलती है कि नहीं
ईश्वर को भी माँ की ज़रूरत पड़ती है कि नहीं
लाख सुखी हो बेटा माँ को फ़िक़्र सताती है
बेटे को परदेस में रोटी मिलती है कि नहीं
जब कोई बेटा माँ को पीड़ा पहुँचाता है
तब भी माँ के दिलसे दुआ निकलती है कि नहीं
नये- नये रिश्ते हैं जो मैं उनसे पूछ रहा
सबसे बढ़कर जग में माँ की हस्ती है कि नहीं
माँ का प्यार बदल जायेगा कैसे सोच लिया
गु़स्से में भी माँ की ममता रहती है कि नहीं
आप बतायें शम्आ को क्या हासिल होता है
शम्आ अंधकार से फिर भी लड़ती है कि नहीं