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"शराब इश्क़ की तेरे न पिया होता तो / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | सज़ाएँ जो भी तू देता क़ुबूल कर लेता | ||
+ | गुनाह जान के मैंने जो किया होता तो | ||
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20:41, 30 दिसम्बर 2018 के समय का अवतरण
शराब इश्क़ की तेरे न पिया होता तो
तेरे दामन का सहारा न लिया होता तो
मर गया होता कभी का तेरी उल्फ़त की क़सम
तेरी यादों के भरोसे न जिया होता तो
हमारी ज़िंदगी अब आपके हवाले है
अगर ये फ़ैसला हमने न लिया होता तो
मुझे शिक़ायतें करने की नहीं आदत है
कली नही तो कभी ख़ार दिया होता तो
सज़ाएँ जो भी तू देता क़ुबूल कर लेता
गुनाह जान के मैंने जो किया होता तो