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"फिर सुबह अखबार खोला रक्त से भीगा हुआ / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | रह गयीं आँखें फटी मेरे शहर को क्या हुआ | ||
+ | फिर सुबह से शाम तक टीवी पे ख़बरें चल रहीं | ||
+ | फिर कहीं कर्फ्यू लगा है,या कहीं दंगा हुआ | ||
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+ | पर हुई जब जाँच तो आयी हक़ीक़त सामने | ||
+ | उस इलाक़े का विघायक दोस्तो नंगा हुआ | ||
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+ | सिर्फ़्र कहने के लिए सीना है छप्पन इंच का | ||
+ | कल जो आदमक़द बना था आज वो बौना हुआ | ||
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+ | बन के आया था मसीहा करके लेकिन क्या गया | ||
+ | फूँक कर बस क्या मिला नुक़सान तो सबका हुआ | ||
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+ | इससे ज़्यादा क्या हुआ हासिल मुझे कहकर ग़ज़ल | ||
+ | हो गयी दिल को तसल्ली मन जरा हल्का हुआ | ||
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+ | चॉद पर जो जा रहे थे फिर ज़मीं पर आ गये | ||
+ | आ गये औक़ात में ये काम तो अच्छा हुआ | ||
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20:43, 30 दिसम्बर 2018 के समय का अवतरण
फिर सुबह अखबार खोला रक्त से भींगा हुआ
रह गयीं आँखें फटी मेरे शहर को क्या हुआ
फिर सुबह से शाम तक टीवी पे ख़बरें चल रहीं
फिर कहीं कर्फ्यू लगा है,या कहीं दंगा हुआ
पर हुई जब जाँच तो आयी हक़ीक़त सामने
उस इलाक़े का विघायक दोस्तो नंगा हुआ
सिर्फ़्र कहने के लिए सीना है छप्पन इंच का
कल जो आदमक़द बना था आज वो बौना हुआ
बन के आया था मसीहा करके लेकिन क्या गया
फूँक कर बस क्या मिला नुक़सान तो सबका हुआ
इससे ज़्यादा क्या हुआ हासिल मुझे कहकर ग़ज़ल
हो गयी दिल को तसल्ली मन जरा हल्का हुआ
चॉद पर जो जा रहे थे फिर ज़मीं पर आ गये
आ गये औक़ात में ये काम तो अच्छा हुआ