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"फ़र्ज़ अपना भूल जाये उस दिये को फूँक दो / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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फ़र्ज़ अपना भूल जाये उस दिये को फूँक दो
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आग जो घर को लगाये उस दिये को फूँक दो
  
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भूलकर मक़सद गर अपना वो धुआँ देने लगे
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कौन फिर उसको बचाये उस दिये को फूँक दो
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तेल है, बाती भी है पर, हौसला बिल्कुल नहीं
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जो हवा से लड़ न पाये उस दिये को फूँक दो
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घर हमारा बिन चिराग़ी हो के रह जाये भले
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खूँ के जो आँसू रुलाये उस दिये को फूँक दो
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वो अँधेरे का हमारे चाँद सूरज हो मगर
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दिन में जो तारे दिखाये उस दिये को फूँक दो
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राजधानी में जले चाहे गली में, गाँव में
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रोशनी जो दे न पाये उस दिये को फूँक दो
 
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20:47, 30 दिसम्बर 2018 के समय का अवतरण

फ़र्ज़ अपना भूल जाये उस दिये को फूँक दो
आग जो घर को लगाये उस दिये को फूँक दो

भूलकर मक़सद गर अपना वो धुआँ देने लगे
कौन फिर उसको बचाये उस दिये को फूँक दो

तेल है, बाती भी है पर, हौसला बिल्कुल नहीं
जो हवा से लड़ न पाये उस दिये को फूँक दो

घर हमारा बिन चिराग़ी हो के रह जाये भले
खूँ के जो आँसू रुलाये उस दिये को फूँक दो

वो अँधेरे का हमारे चाँद सूरज हो मगर
दिन में जो तारे दिखाये उस दिये को फूँक दो

राजधानी में जले चाहे गली में, गाँव में
रोशनी जो दे न पाये उस दिये को फूँक दो