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"भगवान तुम कहाँ हो गुलशन को इस बचा लो / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | हालात क्या हैं देखो गुलशन को इस बचा लो | ||
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+ | नीरव, ललित न माल्या फिर देश में हो कोई | ||
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+ | कितने ही रावनों को, कंसों को तूने मारा | ||
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+ | आँखें खुली हुई हों क़ानून हो न अंधा | ||
+ | बस सत्य की विजय हो गुलशन को इस बचा लो | ||
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+ | सब हार मान बैठे चलता न बस किसी का | ||
+ | उम्मीद आखि़री हो गुलशन को इस बचा लो | ||
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21:00, 30 दिसम्बर 2018 के समय का अवतरण
भगवान तुम कहाँ हो गुलशन को इस बचा लो
अब देर मत लगाओ गुलशन को इस बचा लो
कलियाँ झुलस रहीं हैं शोले बरस रहे हैं
हालात क्या हैं देखो गुलशन को इस बचा लो
नीरव, ललित न माल्या फिर देश में हो कोई
इन सबके पर कतर दो गुलशन को इस बचा लो
कितने ही रावनों को, कंसों को तूने मारा
फिर मारो पापियों को गुलशन को इस बचा लो
आँखें खुली हुई हों क़ानून हो न अंधा
बस सत्य की विजय हो गुलशन को इस बचा लो
सब हार मान बैठे चलता न बस किसी का
उम्मीद आखि़री हो गुलशन को इस बचा लो