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"हाथियों को कोई पाबंदी नहीं वो खूब खायें / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | चीटियों पर किन्तु पहरा है कि वो छूने न पायें | ||
+ | झूठ की जो खेतियाँ करते भरे गोदाम उनके | ||
+ | जो लुटेरे हैं वही सबसे बड़े दानी कहायें | ||
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+ | यह हमारा देश है, इस देश की ये नीतियाँ हैं | ||
+ | जेा निरे कमज़ोर हैं दो वक़्त की रोटी न पायें | ||
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+ | जानवर आज़ाद होकर बस्तियों में घूमते हैं | ||
+ | भेड़ियों से बच गये तो घर के अजगर लील जायें | ||
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+ | मंत्रियों से जो बचे चर्बा उसे अफ़सर उड़ायें | ||
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+ | आप के मन में भी लेकिन प्रश्न ये आता तो होगा | ||
+ | क्यों उन्हें हम वोट दें, क्यों उनसे उम्मीदें लगायें | ||
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+ | देश के आका बने उन धूर्तों से पूछता हूँ | ||
+ | हम अंधेरे में रहें वो रोशनी के गीत गायें | ||
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21:02, 30 दिसम्बर 2018 के समय का अवतरण
हाथियों को कोई पाबंदी नहीं वो खूब खायें
चीटियों पर किन्तु पहरा है कि वो छूने न पायें
झूठ की जो खेतियाँ करते भरे गोदाम उनके
जो लुटेरे हैं वही सबसे बड़े दानी कहायें
यह हमारा देश है, इस देश की ये नीतियाँ हैं
जेा निरे कमज़ोर हैं दो वक़्त की रोटी न पायें
जानवर आज़ाद होकर बस्तियों में घूमते हैं
भेड़ियों से बच गये तो घर के अजगर लील जायें
इस हकी़क़त से बतायें आप क्या वाक़िफ़ नहीं हैं
मंत्रियों से जो बचे चर्बा उसे अफ़सर उड़ायें
आप के मन में भी लेकिन प्रश्न ये आता तो होगा
क्यों उन्हें हम वोट दें, क्यों उनसे उम्मीदें लगायें
देश के आका बने उन धूर्तों से पूछता हूँ
हम अंधेरे में रहें वो रोशनी के गीत गायें