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"आग लगा सकती है कविता / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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कैसा भी वो संगदिल हो,पर
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जो पथभ्रष्ट हुए हैं उनको
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नफ़रत करने वालों को भी
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कैसी भी महफ़िल हो यारो
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रंग जमा सकती है कविता
 
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21:06, 30 दिसम्बर 2018 के समय का अवतरण

आग लगा सकती है कविता
आग बुझा सकती है कविता

अगर चाह ले तो ऊसर में
बीज उगा सकती है कविता

जो घमंड में डूबे उनको
सबक़ सिखा सकती है कविता

कैसा भी वो संगदिल हो,पर
हँसा रुला सकती है कविता

जो पथभ्रष्ट हुए हैं उनको
राह दिखा सकती है कविता

खु़द्दारी का जज़्बा हो तो
मान बढ़ा सकती है कविता

नफ़रत करने वालों को भी
प्यार सिखा सकती है कविता

कैसी भी महफ़िल हो यारो
रंग जमा सकती है कविता