भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मेरा काबुलीवाला / अरुणा राय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 33: | पंक्ति 33: | ||
हैंडशेक... <br> | हैंडशेक... <br> | ||
− | '''(ये मेरे | + | '''(ये मेरे काबुलीवाले के लिए कि जिसका वादा है एक रोज़ आने का...)''' <br> |
23:35, 30 जुलाई 2008 का अवतरण
वो
जो इक
छोटी सी बच्ची है
जिसकी निगाहें
मेरी आत्मा के
हरे चिकने पात पर
गिरती रहती हैं अनवरत
बूंदों की तरह
वो ही
मेरी छोटी सी बच्ची
अपनी सितारों सी टिमकती आँखें
मेरी आँखों में डाल
मचलती-सी बोलती है
कितने अच्छे हो आप
मैं
और अच्छा ?
(मेरी तोते सी लाल नाक पकड़
हिलाता...)
अच्छे की बच्ची
कुछ बड़ी हो जा
तो तू उससे भी अच्छी हो जावेगी
और... और सच्ची
और... और नेक
ला दे अपना हाथ
क्या
आज नही करेगी
हैंडशेक...
(ये मेरे काबुलीवाले के लिए कि जिसका वादा है एक रोज़ आने का...)