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"काले-काले घोड़े / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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हरे रंग के घोड़े खुरचें
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जो सफ़ेद हैं
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उन्हें सियासत
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मार रही है कोड़े
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मुझसे मत पूछो तुम
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लटक रहा है बैल कुएँ में
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क्यों
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खुद ही सोचो तुम
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दूध बेचकर
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खाने भर को जोड़े
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है दिन रात सुनाई देती
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इनकी टाप सभी को
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लेकिन ख़ुफ़िया पुलिस अभी तक
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ढूँढ न पाई इनको
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घुड़सवार
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काले घोड़ों ने
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राजमहल तक छोड़े
 
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23:49, 20 जनवरी 2019 के समय का अवतरण

पहुँच रहे मंजिल तक झटपट
काले-काले घोड़े

भगवा घोड़े खुरच रहे हैं
दीवारें मस्जिद की
हरे रंग के घोड़े खुरचें
दीवारें मंदिर की

जो सफ़ेद हैं
उन्हें सियासत
मार रही है कोड़े

गधे और खच्चर की हालत
मुझसे मत पूछो तुम
लटक रहा है बैल कुएँ में
क्यों
खुद ही सोचो तुम

गाय बिचारी
दूध बेचकर
खाने भर को जोड़े

है दिन रात सुनाई देती
इनकी टाप सभी को
लेकिन ख़ुफ़िया पुलिस अभी तक
ढूँढ न पाई इनको

घुड़सवार
काले घोड़ों ने
राजमहल तक छोड़े