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"चंचल नदी / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | उस पर थे इलज़ाम लगे | ||
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+ | पत्थर के आगे मिन्नत सब | ||
+ | हो बेकार गई | ||
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+ | सदा स्वस्थ रहने वाली | ||
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+ | अपनी राहें ख़ुद चुनती थी | ||
+ | बँधने से पहले | ||
+ | अब तो सब से पूछ रही है | ||
+ | रुक जाए? | ||
+ | बह ले? | ||
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+ | आजीवन फिर उसी राह से | ||
+ | हो लाचार | ||
+ | गई | ||
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00:01, 21 जनवरी 2019 के समय का अवतरण
चंचल नदी
बाँध के आगे
फिर से हार गई
बोला बाँध
यहाँ चलना है
मन को मार
गई
टेढ़े चाल-चलन के
उस पर थे इलज़ाम लगे
गति में उसकी
थी जो बिजली
उसके दाम लगे
पत्थर के आगे मिन्नत सब
हो बेकार गई
टूटी लहरें
छूटी कल-कल
झील हरी निकली
शांत सतह पर
लेकिन भीतर पर्तों में बदली
सदा स्वस्थ रहने वाली
होकर बीमार
गई
अपनी राहें ख़ुद चुनती थी
बँधने से पहले
अब तो सब से पूछ रही है
रुक जाए?
बह ले?
आजीवन फिर उसी राह से
हो लाचार
गई